WhatsApp logo Join Naat Group

Har Sahabi e Nabi Jannati Jannati (All Versions / हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

जानम फ़िदा ए बू बकर
बू बकर अबू बकर

सिद्दीक़ भी जन्नती
फ़ारूक़ भी जन्नती
उस्मान भी जन्नती
हैदर भी जन्नती

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

ये सब रब से राज़ी ख़ुदा इन से राज़ी
किताब ए ख़ुदा में तो लिक्खा यही है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

नबी का सहाबी हर इक जन्नती है
यही कहता आया हर इक उम्मती है

सहाबा का शातिम नबी का है शातिम
ये कह दो उजागर हदीस ए नबी है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

सिद्दीक़ भी जन्नती
फ़ारूक़ भी जन्नती
उस्मान भी जन्नती
हैदर भी जन्नती

यही चारों ख़ुलफ़ा हैं मेरा शअक़ीदा
अबू बक्र ओ फ़ारूक़ ओ उस्मान ओ हैदर

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

सालार ए सहाबा वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा सिद्दीक़ हमारा

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

मु’आविया के प्यार से अपना तो बेड़ा पार है
गुनाह बख़्शवाएगी शफ़ा अत ए मुआविया

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

सिद्दीक़ भी जन्नती
फ़ारूक़ भी जन्नती
उस्मान भी जन्नती
हैदर भी जन्नती

इक नाम चार यारों में शेर ए ख़ुदा का है
इक नाम पंजतन में भी मुश्किल कुशा का है

नाम ए अली जो आ गया मेरी ज़बान पर
जिब्रील मुस्कुराने लगे आसमान पर

मुन्किर की क्या मजाल मेरे घर में आ सके
नाद ए अली जो लिख दिया मेरे मकान पर

हैदर मौला अली अली अली अली मौला
हैदर मौला अली अली अली अली मौला अदब से सहाबा का तुम नाम लेना
ये बख़्शे हुए हैं ये हर्फ़ ए जली है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

सिद्दीक़ भी जन्नती
फ़ारूक़ भी जन्नती
उस्मान भी जन्नती
हैदर भी जन्नती

बुरी बात अपनी ज़बाँ से न बोलो
सहाबा की तौहीन ओ बे हुरमती है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

बू बक्र ओ उमर जन्नती जन्नती
उस्मान ओ अली जन्नती जन्नती
अली ओ मु आविया जन्नती जन्नती

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

मेरी जान सहाबा ईमान सहाबा
पहचान सहाबा मेरी शान सहाबा

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

यही चारों ख़ुलफ़ा हैं मेरा अक़ीदा
अबू बक्र ओ फ़ारूक़ उस्माँ अली हैं

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

इक नाम चार यारों में शेर ए ख़ुदा का है
इक नाम पंजतन में भी मुश्किल कुशा का है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

मुआविया के प्यार से अपना बेड़ा पार है
गुनाह बख़्शवाएगी शफ़ा अत ए मुआविया

अली ओ मुआविया जन्नती जन्नती

मेरी जान सहाबा ईमान सहाबा
पहचान सहाबा मेरी शान सहाबा

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

अदब से सहाबा का तुम नाम लेना
ये बख़्शे हुए हैं ये हर्फ़ ए जली है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

बुरी बात अपनी ज़बाँ से न बोलो
सहाबा की तौहीन ओ बे हुरमती है

हर सहाब ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

सहाबा के गुस्ताख़ से क्या मरासिम
इन्हें छोड़ो आख़िर तुम्हें क्या कमी है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

ये सब रब से राज़ी ख़ुदा इन से राज़ी
किताब ए ख़ुदा में तो लिक्खा यही है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती

नबी का सहाबी हर इक जन्नती है
यही कहता आया हर इक उम्मती है

सहाबा का शातिम नबी का है शातिम
ये कह दो उजागर हदीस ए नबी है

हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नती
हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नत

बू बक्र ओ उमर जन्नती जन्नती
उस्मान ओ अली जन्नती जन्नती
अली ओ मुआविया जन्नती जन्नती

jaanam fida-e-bu-bakar
bu-bakar, abu-bakar

siddiq bhi ! jannati !
faarooq bhi ! jannati !
‘usmaan bhi ! jannati !
haidar bhi ! jannati !

Har Sahabi e Nabi Jannati Jannati
Har Sahabi e Nabi Jannati Jannati

ye sab rab se raazi, KHuda in se raazi
kitaab-e-KHuda me.n to likkha yahi hai

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

nabi ka sahaabi har ik jannati hai
yahi kehta aaya har ik ummati hai

sahaaba ka shaatim, nabi ka hai shaatim
ye keh do, Ujaagar ! hadees-e-nabi hai

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

siddiq bhi ! jannati !
faarooq bhi ! jannati !
‘usmaan bhi ! jannati !
haidar bhi ! jannati !

yahi chaaro.n KHulfa hai.n mera ‘aqeeda
abu-bakr-o-faarooq-o-usmaan-o-haidar

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

salaar-e-sahaaba, wo pehla KHalifa
sarkaar ka pyaara, siddiq hamaara
har sunni ka naa’ra, siddiq hamaara

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

mu’aawiya ke pyaar se apna to be.Da paar hai
gunaah baKHshwaaegi shafaa’at-e-mu’aawiya

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

siddiq bhi ! jannati !
faarooq bhi ! jannati !
‘usmaan bhi ! jannati !
haidar bhi ! jannati !

ik naam chaar yaaro.n me.n sher-e-KHuda ka hai
ik naam panjtan me.n bhi mushkil-kusha ka hai

naam-e-‘ali jo aa gaya meri zabaan par
jibreel muskuraane lage aasmaan par

munkir ki kya majaal mere ghar me.n aa sake
naad-e-‘ali jo likh diya mere makaan par

haidar maula ‘ali ‘ali ! ‘ali ‘ali maula !
haidar maula ‘ali ‘ali ! ‘ali ‘ali maula !

adab se sahaaba ka tum naam lena
ye baKHshe hue hai.n, ye harf-e-jali hai

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !

siddiq bhi ! jannati !
faarooq bhi ! jannati !
‘usmaan bhi ! jannati !
haidar bhi ! jannati !

buri baat apni zabaa.n se na bolo
sahaaba ki tauheen-o-be-hurmati hai

har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati !
har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati